Thursday 6 January 2022

ज्योतिष टिप

 


🌷 *सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने के लिए* 🌷

🐄 *तुलसी की अथवा गाय की ९ बार प्रदक्षिणा करने से व्यक्ति की सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है ..ऐसे ही ओंकार जप से सकारात्मक ऊर्जा के साथ भगवत प्रीति भी बढ़ती है तुलसी और गौ का आभा मंडल ३ मीटर की दूरी तक फैला होता है वैज्ञानिक लेमों मूर्ति ने कहा है कि गौ, तुलसी, पीपल, सफ़ेद आंकड़ा, गोबर ये घनात्मक ऊर्जा देते हैं*


           🌞 *~  हिन्दू पंचांग  ~* 🌞


🌷 *नारी सौभाग्य मंत्र* 🌷

🏡 *किसी के घर में ज्यादा उपद्रव होता हो, ज्यादा अशांति होती हो और बहने बेचारी तंग आ गयी हों, तो एक नारी सौभाग्य कर्ण मंत्र आता है। बीज मंत्र हैं उसमें, ८ अक्षर हैं उसमें। ८ अक्षर में से ४ बार तो ॐ ही आता है।  ४ अक्षर दूसरे हैं तो कितना सरल हो गया ।*

🌷  *ॐ ॐ ह्रीं ॐ क्रिम ह्रीं ॐ स्वाहा ।*

👌🏻 *और इसकी १० माला जपनी होती है सूर्य उगने से पहले । और सुहागन स्त्री को । पुरुष को नही जपना है ।*

कैलेंडर विज्ञान ज्योतिष

 


🌷 *वास्तु शास्त्र* 🌷

📅 *वास्तु में पुराने कैलेंडर लगाए रखना अच्छा नहीं माना गया है। ये प्रगति के अवसरों को कम करता है। इसलिए, पुराने कैलेंडर को हटा देना चाहिए और नए साल में नया कैलेंडर लगाना चाहिए। जिससे नए साल में पुराने साल से भी औज्यादा शुभ अवसरों की प्राप्ति होती रहे।*

*अगर सालभर अच्छे योग और फायदे चाहते हैं तो घर में कैलेंडर को वास्तु के अनुसार ही लगाएं।*

👉🏻 *वास्तु अनुरुप कहां लगाएं कैलेंडर*

📅  *कैलेंडर उत्तर,पश्चिम या पूर्वी दीवार पर लगाना चाहिए। हिंसक जानवरों, दुःखी चेहरों की तस्वीरोंवाला ना हो। इस प्रकार की तस्वीरें घर में नेगेटिव एनर्जी का संचार करती है।*

📅 *पूर्व में कैलेंडर लगाना बढ़ा सकता हैं प्रगति के अवसर- पूर्व दिशा के स्वामी सूर्य हैं , जो लीडरशिप के देवता हैं। इस दिशा में कैलेंडर रखना जीवन में प्रगति लाता है। लाल या गुलाबी रंग के कागज पर उगते सूरज, भगवान आदि की तस्वीरों वाला कैलेंडर हो।*

📅 *उत्तर दिशा में कैलेंडर बढ़ाता है सुख-समृद्धि- उत्तर दिशा कुबेर की दिशा है। इस दिशा में हरियाली,फव्वारा, नदी,समुद्र, झरने, विवाह आदि की तस्वीरों वाला कैलेंडर इस दिशा में लगाना चाहिए। कैलेंडर पर ग्रीन व सफेद रंग का उपयोग अधिक किया हो।*

📅 *पश्चिम दिशा में कैलेंडर लगाने से बन सकते हैं रुके हुए कई कार्य- पश्चिम दिशा बहाव की दिशा है। इस दिशा में कैलेंडर लगाने से कार्यों में तेजी आती हैं। कार्यक्षमता भी बढ़ती है। पश्चिम दिशा का जो कोना उत्तर की ओर हो। उस कोने की ओर कैलेंडर लगाना चाहिए।*

📅  *कैलेंडर नहीं लगाना चाहिए घर की दक्षिण दिशा में- घड़ी और कैलेंडर दोनों ही समय के सूचक हैं। दक्षिण ठहराव की दिशा है। यहां समय सूचक वस्तुओं को ना रखें। ये घर के सदस्यों की तरक्की के अवसर रोकता है। घर के मुखिया के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।*

📅  *मुख्य दरवाजे से नजर आता कैलेंडर भी नहीं लगाएं- मुख्य दरवाजे के सामने कैलेंडर नहीं लगाना चाहिए। दरवाजे से गुजरने वाली ऊर्जा प्रभावित होती है। साथ ही तेज हवा चलने से कैलेंडर हिलने से पेज उलट सकते हैं । जो कि अच्छा नहीं माना जाता है।*

💥 *विशेष : अगर कैलेंडर में संतों महापुरुषों तथा भगवान के श्रीचित्र लगे हों,तो ये और अधिक पुण्यदायी और आनंददायी माना जाता है |*


           

Tuesday 4 January 2022

शिव के द्वादश ज्योर्तिलिंग की कथा और महत्व

 https://youtu.be/Y_N_Hxp4Cew




🌷 *शिव के द्वादश बारह ज्योतिर्लिंग की कथा और महत्त्व*

🙏  *१२  ज्योतिर्लिंगों का महत्व व महिमा*

🙏 *भगवान शिव की भक्ति का महिना सावन शुरू हो चुका है। शिवमहापुराण के अनुसार एकमात्र भगवान शिव ही ऐसे देवता हैं, जो निष्फल व सफल दोनों हैं। यही कारण है कि एकमात्र शिव का पूजन लिंग व मूर्ति दोनों रूपों में किया जाता है। भारत में १२ प्रमुख ज्योतिर्लिंग हैं। इन सभी का अपना महत्व व महिमा है।*

🙏 *ऐसी मान्यता भी है कि सावन के महिने में यदि भगवान शिव के ज्योतिर्लिंगों के दर्शन किए जाएं तो जन्म-जन्म के कष्ट दूर हो जाते हैं। यही कारण है कि सावन के महिने में भारत के प्रमुख १२ ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है। आज हम आपको बता रहे हैं इन १२ ज्योतिर्लिंगों का महत्व व महिमा-:*

🙏 *१] सोमनाथ : सोमनाथ ज्योतिर्लिंग भारत का ही नहीं अपितु इस पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यह मंदिर गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है, कि जब चंद्रमा को दक्ष प्रजापति ने श्राप दिया था, तब चंद्रमा ने इसी स्थान पर तप कर इस श्राप से मुक्ति पाई थी। ऐसा भी कहा जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं चन्द्र देव ने की थी। विदेशी आक्रमणों के कारण यह 17 बार नष्ट हो चुका है। हर बार यह बिगड़ता और बनता रहा है।*

🙏 *२] मल्लिकार्जुन : यह ज्योतिर्लिंग आंध्रप्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल नाम के पर्वत पर स्थित है। इस मंदिर का महत्व भगवान शिव के कैलाश पर्वत के समान कहा गया है। अनेक धार्मिक शास्त्र इसके धार्मिक और पौराणिक महत्व की व्याख्या करते हैं।*

🙏 *कहते हैं कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से ही व्यक्ति को उसके सभी पापों से मुक्ति मिलती है। एक पौराणिक कथा के अनुसार जहां पर यह ज्योतिर्लिंग है, उस पर्वत पर आकर शिव का पूजन करने से व्यक्ति को अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य फल प्राप्त होते हैं।*

🙏 *३] महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग : यह ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश की धार्मिक राजधानी कही जाने वाली उज्जैन नगरी में स्थित है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषता है कि ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। यहां प्रतिदिन सुबह की जाने वाली भस्मारती विश्व भर में प्रसिद्ध है। महाकालेश्वर की पूजा विशेष रूप से आयु वृद्धि और आयु पर आए हुए संकट को टालने के लिए की जाती है। उज्जैनवासी मानते हैं कि भगवान महाकालेश्वर ही उनके राजा हैं और वे ही उज्जैन की रक्षा कर रहे हैं।*

🙏 *४] ओंकारेश्वर : ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध शहर इंदौर के समीप स्थित है। जिस स्थान पर यह ज्योतिर्लिंग स्थित है, उस स्थान पर नर्मदा नदी बहती है और पहाड़ी के चारों ओर नदी बहने से यहां ॐ का आकार बनता है। ॐ शब्द की उत्पति ब्रह्मा के मुख से हुई है। इसलिए किसी भी धार्मिक शास्त्र या वेदों का पाठ ॐ के साथ ही किया जाता है। यह ज्योतिर्लिंग ॐकार अर्थात ॐ का आकार लिए हुए है, इस कारण इसे ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है।*

🙏 *५] केदारनाथ : केदारनाथ स्थित ज्योतिर्लिंग भी भगवान शिव के १२ प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में आता है। यह उत्तराखंड में स्थित है। बाबा केदारनाथ का मंदिर बद्रीनाथ के मार्ग में स्थित है। केदारनाथ समुद्र तल से ३५८४ मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। केदारनाथ का वर्णन स्कन्द पुराण एवं शिव पुराण में भी मिलता है। यह तीर्थ भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। जिस प्रकार कैलाश का महत्व है उसी प्रकार का महत्व शिव जी ने केदार क्षेत्र को भी दिया है।*

🙏 *६] भीमाशंकर : भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पूणे जिले में सह्याद्रि नामक पर्वत पर स्थित है। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर के विषय में मान्यता है कि जो भक्त श्रद्धा से इस मंदिर का दर्शन प्रतिदिन सुबह सूर्य निकलने के बाद करता है, उसके सात जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं तथा उसके लिए स्वर्ग के मार्ग खुल जाते हैं।*

🙏 *७] काशी विश्वनाथ: विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग भारत के १२ ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह उत्तर प्रदेश के काशी नामक स्थान पर स्थित है। काशी सभी धर्म स्थलों में सबसे अधिक महत्व रखती है। इसलिए सभी धर्म स्थलों में काशी का अत्यधिक महत्व कहा गया है। इस स्थान की मान्यता है कि प्रलय आने पर भी यह स्थान बना रहेगा। इसकी रक्षा के लिए भगवान शिव इस स्थान को अपने त्रिशूल पर धारण कर लेंगे और प्रलय के टल जाने पर काशी को उसके स्थान पर पुन: रख देंगे।*

🙏 *८] त्र्यंबकेश्वर : यह ज्योतिर्लिंग गोदावरी नदी के करीब महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग के सबसे अधिक निकट ब्रह्मागिरि नाम का पर्वत है। इसी पर्वत से गोदावरी नदी शुरू होती है। भगवान शिव का एक नाम त्र्यंबकेश्वर भी है। कहा जाता है कि भगवान शिव को गौतम ऋषि और गोदावरी नदी के आग्रह पर यहां ज्योतिर्लिंग रूप में रहना पड़ा।*

🙏 *९] वैद्यनाथ : श्री वैद्यनाथ शिवलिंग का समस्त ज्योतिर्लिंगों की गणना में नौवां स्थान बताया गया है। भगवान श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का मन्दिर जिस स्थान पर स्थित है, उसे वैद्यनाथ धाम कहा जाता है। यह स्थान झारखंड राज्य (पूर्व में बिहार ) के देवघर जिला में पड़ता है।*

🙏 *१०] नागेश्वर ज्योतिर्लिंग : यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के बाहरी क्षेत्र में द्वारिका स्थान में स्थित है। धर्म शास्त्रों में भगवान शिव नागों के देवता है और नागेश्वर का पूर्ण अर्थ नागों का ईश्वर है। भगवान शिव का एक अन्य नाम नागेश्वर भी है। द्वारका पुरी से भी नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की दूरी १७ मील की है। इस ज्योतिर्लिंग की महिमा में कहा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ यहां दर्शन के लिए आता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।*

🙏 *११] रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग : यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु राज्य के रामनाथपुरं नामक स्थान में स्थित है। भगवान शिव के १२ ज्योतिर्लिंगों में से एक होने के साथ-साथ यह स्थान हिंदुओं के चार धामों में से एक भी है। इस ज्योतिर्लिंग के विषय में यह मान्यता है कि इसकी स्थापना स्वयं भगवान श्रीराम ने की थी। भगवान राम के द्वारा स्थापित होने के कारण ही इस ज्योतिर्लिंग को भगवान राम का नाम रामेश्वरम दिया गया है।*

🙏 *१२] घृष्णेश्वर मन्दिर : घृष्णेश्वर महादेव का प्रसिद्ध मंदिर महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर के समीप दौलताबाद के पास स्थित है। इसे घृसणेश्वर या घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। दूर-दूर से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं और आत्मिक शांति प्राप्त करते हैं। भगवान शिव के १२ ज्योतिर्लिंगों में से यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है। बौद्ध भिक्षुओं द्वारा निर्मित एलोरा की प्रसिद्ध गुफाएं इस मंदिर के समीप स्थित हैं। यहीं पर श्री एकनाथजी गुरु व श्री जनार्दन महाराज की समाधि भी है।

🙏  श्री सुरेशानंदजी महाराज