Sunday 16 August 2020

 

अगर पान में लगाने वाला चुना मैं रोज पानी के साथ गेहूं के दाने जितना लूं तो मुझे क्या फर्क पड़ेगा?

 

अगर पान में लगाने वाला चुना मैं रोज पानी के साथ गेहूं के दाने जितना लूं तो मुझे क्या फर्क पड़ेगा?

इन रोगो के लिए किसी रामबाण से कम नही है चूना, जानिए चूना खाने के फायदे

दोस्तों आज हम एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय पर बात करने जा रहे हैं | आज हम बात करने जा रहे हैं चूने की जी हाँ हम उसी चूने की बात कर रहे हैं जो लोग अकसर पान के साथ खाते हैं | हममें से बहुत ही कम लोग हैं जो इस बात को जानते हैं कि चूना वास्तव में किसी औषधि से कम नहीं है | आज तक आप चूने को एक सामान्य सी चीज मानते आए होंगे लेकिन आज इस ब्लॉग को पढ़ने के बाद आप चूना आपके घर पर ले ही आएंगे |

आपको बता दें दोस्तों कि चूना एक प्रकार की चट्टान होती है, जिसे तोड़कर इसका पाउडर बनाया जाता है |

चूने के औषधीय गुण -

हड्डियों को करे मजबूत -

  • जी हाँ चूने को यदि हम गन्ने के रस या अन्य कोई भी रस के साथ एक पिंच मिलाकर पीते हैं तो इससे हमारे हड्डियों से संबन्धित रोग दूर होते हैं | यह कैल्शियम का अच्छा स्त्रोत माना जाता है | इससे हमारे अंदर कैल्शियम की कमी नहीं रहती |
  • इससे विशेष रूप से रीढ की हड्डी से संबन्धित रोग जल्द ही ठीक हो सकते हैं | यदि रीढ़ की हड्डी के मनके खिसक गए हों या उनमें गैप आ गया हो तो चूना रामबाण औषधि का काम करता है |
  • चूना टूटी हुई हड्डी को जोड़ने की भी क्षमता रखता है |

मसूड़ों में तकलीफ को करे दूर -

  • यदि कोई दांतों या मसूड़ो में दिक्कत हो, दाँत दर्द या फिर मसूड़ों में सूजन हो तो आप चूने का इस्तेमाल कर सकते हैं | आप इसे दाल में चावल के दाने जितना डालकर भी खा सकते हैं |
  • यदि मुंह में छाले हो जाते हैं तो किसी भी चीज का स्वाद नहीं आता | उसके लिए आपको जरा सा चूना पानी में मिलाकर उसके कुल्ले करने हैं | इसे दिन में दो से तीन बार करें आपको काफी राहत मिलेगी |
  • यदि आपके दांतों में ठंडा गरम लगता है , दाँत कमजोर हैं | तो इसके लिए आप चूने का इस्तेमाल कर सकते हैं | इससे आपके दांतों में जो समस्याएँ आ रही हैं वह नहीं आएगी |
  • चूने को आप छोटे बच्चों को भी पानी में मिलाकर दे सकते हैं इससे उनके दाँत ठीक से निकलेंगे और उनके दाँत निकलने में ज्यादा दिक्कत भी नहीं होगी |

गर्भावस्था में चूने के फायदे -

  • कहते हैं गर्भवती स्त्री को कैल्शियम की बहुत जरूरत होती है | उसे इसकी गोलियां भी दी जाती हैं | ताकि उसे केल्शियम की कमी ना हो इसीलिएगर्भवती स्त्री को चूने का सेवन को जरूर करना चाहिए | इससे होने वाले बच्चे का विकास अच्छे से होगा | पर इसका इस्तेमाल आपको ध्यान से कम मात्रा में और अपने डॉक्टर के परामर्श से ही करना चाहिए |
  • इसे आप अनार के रस के साथ चावल के दाने जितना रोजाना ले सकते हैं |
  • जो महिलाएँ 9 महीने तक अनार के रस के साथ चूने का सेवन करती हैं ज़्यादातर उनकी नॉर्मल डिलिवरी होती है |
  • इस उपाय को करने से जो संतान पैदा होगी वह बुद्धिमान, हष्ट पुष्ट और सुंदर होगी |
  • भविष्य में वह संतान किसी भी गंभीर बीमारी से पीड़ित नहीं होगी |

हाईट बढ़ाने के लिए -

जिन बच्चों की लंबाई नहीं बढ़ती या बढ़ते बढ़ते रुक गई हो उन बच्चों को चूने का सेवन जरूर करायें | इससे उनकी हड्डियाँ मजबूत बनेगी और लंबाई भी अच्छी निकलेगी | दही में आधी चुटकी चूना मिलाकर आपको उन्हें देना है | यह उनके शरीर के विकास के लिए बहुत जरूरी है |

खून की कमी -

यदि किसी को खून की कमी है या कोई एनीमिया से पीड़ित है तो उसे चूना अनार के रस में मिलाकर पिलायें | इससे खून की कमी बहुत जल्दी ही पूरी हो जाती है |

मासिक धर्म की समस्या -

चूना मासिक धर्म की समस्या से पीड़ित महिलाओं के लिए भी रामबाण ईलाज है |अनियमित मासिक धर्म तप्रदर, मासिक धर्म का बंद हो जाना जैसी कई समस्याओं का इलाज है चूना जो महिलाएं 40 की उम्र से ऊपर हो जाती हैं उनके लिए भी चूना काफी फायदा करता है | चूने से शरीर में कैल्शियम की कमी नहीं रहती जिससे शरीर में दर्द, हड्डियों से संबन्धित रोग इन सब का सामना नहीं करना पड़ता है |

स्त्री पुरुष के गुप्त रोगों में लाभ -

यदि किसी पुरुष को गुप्त रोग हो जैसे स्पर्म ना बनता हो तो उसे चूना खिलायें इससे कुछ ही समय में शुक्राणु बन्ने लगेंगे | यदि किसी स्त्री को अंडे ना बनते हों तो वह भी इसे खाने में प्रयोग कर सकती है उसे भी इस गंभीर समस्या से निजात मिल सकता है | देखा आपने कितने सारे हैं |

गर्भपात - यदि किसी स्त्री को बार बार गर्भपात हो जाता है, किसी को संतान नहीं होती हो तो उसे रोजाना चूने का सेवन करना शुरू कर देना चाहिए | आपको इसके इतने बेहतरीन परिणाम मिलेंगे कि आप सोच भी नहीं सकते | इससे नियमित उपयोग से बार बार गर्भपात की समस्या जड़ से खत्म हो जाएगी और इससे आप संतान सुख भी प्राप्त कर सकते हो | यह दावा है हमारा और आयुर्वेद में भी यह ज्ञान लिखा हुआ है |

एसिड बनने पर -

यदि किसी को एसिड बनता है तो ऐसे लोगों को सुबह खाली पेट दही में या फिर किसी भी प्रकार के रस में गेंहू के दाने जितना चूना मिलाकर पीने से एसिड की समस्या से छुटकारा मिल सकता है | यह आपको नियमित रूप से कम से कम एक सप्ताह तक करना है |

आप इसे प्याज के रस में मिलाकर भी ले सकते हैं |

चूने का पानी कैसे बनाएँ

चूने का एक टुकड़ा लीजिये उसे आप मटकी में पानी भर कर उसमें डाल दीजिये | चूना गलकर नीचे बैठ जाएगा और उसका पानी ऊपर आ जाएगा | यह पानी आपके लिए औषधि का काम करेगा | इस प्रक्रिया में लगभग 24 घंटे का समय लगेगा | चूने के इस पानी में कैल्शियम के साथ -साथ काफी सारे विटामिन भी आप को मिल जाते हैं | और फिर मटकी का पानी तो होता ही अच्छा है | जो इसके पोषक तत्वों को दोगुना कर देता है |

चूने के अन्य लाभ -

  • यदि किसी का कान बहता है तो दूध में चूना मिलाकर उसकी पिचकारी कान में डालने से काफी आराम मिलेगा |
  • यदि किसी का पेशाब रुक गया हो या फिर पेशाब पीला आ रहा हो तो आप दूध के साथ एक चम्मच चूने का पानी ले सकते हैं | इससे आपको काफी राहत महसूस होगी |
  • यदि किसी को मकड़ी ने काटा हो तो नींबू के रस में चूना मिलाकर उस स्थान पर लगाने से जहर निकाल जाएगा | सूजन भी नहीं होगी |
  • चूने का प्रयोग केवल चावल या गेहूं के दाने के जितना ही करना होता है इससे ज्यादा आपको नुकसान दे सकता है |
  • चूने का पानी या चूने को आपको लगातार तीन महीने तक लेना है | तीन महीने के बाद आपको उसे पीना छोड़ देना है उसके बाद 1 महीने के बाद फिर से शुरू कर सकते हैं |

चूने के इस्तेमाल में सावधानियाँ -

  • चूने का सेवन पथरी वाले रोगी ना करें |
  • चूने का सेवन यदि आप तंबाकू या कत्थे के साथ करते हैं तो यह कैन्सर बनाता है |
  • चूने का सेवन बिलकुल कम मात्रा में ही करना चाहिए |
  • चूने का सेवन डारेक्ट नहीं करना चाहिए | यह आपकी जीभ जला सकता है |
  • चूने का सेवन किसी न किसी चीज के साथ मिलाकर ही करना चाहिए |
  • चूने को हमेशा जांच कर ही लें | आज कल नकली चूना काफी प्रचलन में है | जो फायदे की जगह आपको नुकसान भी पहुंचा सकता है |

दोस्तों चूने के ये बेहतरीन फायदे जानकार आप भी चौंक गए होंगे ना | जी हाँ हमें भी यह जानकार काफी आश्चर्य हुआ था | तभी तो सोचा कि आप के साथ भी शेयर किए जाएँ | इससे भी ज्यादा लाभ हैं चूने के ये तो हमने समय और सहूलियत को देखते हुये आपके साथ थोड़े से लाभ शेयर किए हैं |

Friday 14 August 2020

किसी को अपना दुःख दर्द बता देने से मन को थोड़ी शांति क्यों हो जाती है ?

 आपने भी देखा होगा कि मृत्यु होने पर लोग 13 दिन तक शोक प्रकट करने आते हैं। अब इसमें मजेदार सिस्टम यह है कि जो लोग आए हैं , उन्हें मृत्यु की की बात का सारा पता है लेकिन बैठते ही पहला सवाल यह होता है -- हाँ तो भाई साहब , क्या हुआ ?

भाई साहब पहले दिन तो रो-रो कर पूरा वृतांत सुनाते हैं कि पिता जी रात को अच्छे भले सोए थे , सुबह भी उन्होंने चाय मांगी। पत्नी ने चाय दी। पीने लगे तो छाती में तेज दर्द शुरू हो गया। हम हॉस्पिटल ले कर भागे तुरंत , डॉक्टर ने खूब टीके-ग्लूकोज दिए लेकिन.... और फिर रोना शुरू .... और मृत्यु से लेकर दाह-संस्कार तक का विस्तार से विवरण देते हैं।अलग-अलग समय पर लोग आते रहते हैं और यह घटना उन्हें दिन में बीस बार बतानी पड़ती है।

दूसरे दिन वही भाई साहब बात की शुरुआत रात से या सुबह की चाय से नहीं बल्कि छाती के दर्द से करते हैं। आज आंसू भी कम आते हैं। मृत्यु का विवरण भी कम हो जाता है। सीधे दाह-संस्कार पर पहुँच जाते हैं।

तीसरे दिन रोते नहीं बल्कि सीधे टीके-ग्लूकोज़ पर आ जाते हैं। और मृत्यु का विवरण भी आधे मिनट में निबटा देते हैं। दाह-संस्कार का ज़िक्र भी नहीं होता ।

चौथे या पांचवे दिन तक आते-आते भाई साहब मुस्कुराने लगते हैं और दो वाक्य ही बोलते हैं -- बाकी बातें तो मौत का बहाना है। उनके सांस ही इतने लिखे हुए थे।

तो देखा आपने , बार-बार बताने से दुःख कितना कम हो गया ?

दसवें दिन तक तो यह दृश्य होता है कि वहां मृत्यु की बजाए देश की राजनीति और महंगाई पर चर्चा होने लगती है।

मतलब क्या हुआ ? सीधी सी बात है कि हमारे अनपढ़ बुजुर्ग बहुत ही समझदार और व्यावहारिक थे जो उन्होंने इस तरह की रीत बनाई। बार -बार बताने से दुःख तो कम होता ही है , आदमी मानसिक रूप से भी मजबूत हो जाता है। फिर बहुत बार यह भी होता है कि आने वाले इतनी दर्दनाक घटनाएं सुनाते हैं कि बेटा शुक्र मनाता है , बढ़िया हुआ कि अपने पिता जी तो बहुत सुख से चले गए। दुःख कम हो जाता है बहुत ही।

मैं हार्ट-अटैक के बाद स्टेंट डलवा कर हॉस्पिटल से बाहर निकल रहा था और सामने से मेरे एक पत्रकार दोस्त को चार लोग सहारा दे कर ला रहे थे। दोस्त के चेहरे का रंग उड़ा हुआ था और गर्दन लटका कर वह मरा-मरा चल रहा था। मैंने पूछा - क्या हुआ ?

दोस्त नहीं बोला , सहायकों ने बताया - सर को हार्ट-अटैक आ गया।

मैंने कहा - तो इस तरह मुंह लटका कर इनका सहारा क्यों ले रखा है ?

सहायक नाराज़ हो गए और दोस्त से पहले ही बोल पड़े- आपको शर्म नहीं आती या ऊंचा सुनता है ? इन्हे अटैक आया है।

मैंने कहा - मुझे भी परसों आया था , अभी डिस्चार्ज हो कर आ रहा हूं।

दोस्त हैरान ! बोला - अकेले ही ?

मैंने स्वीकृति में गर्दन हिलाई और बताया पार्किंग में बेटा गाड़ी लिए खड़ा है तो दोस्त उनसे हाथ छुड़ा कर चलना शुरू हो गया। कमाल यह कि पहले वह कड़छी की आकृति बना हुआ था लेकिन अब बिलकुल सीधा हो गया था।

सवाल अब यह कि मैंने उसे क्या दिया ? कुछ भी तो नहीं न ?

उसमें जोश इसलिए आ गया कि उसका गम मेरे गम से कम या बराबर ही था। मैं न मिलता तो शायद वह चार कदम बाद ज़ोर ज़ोर से सांसें लेने लगता या छाती पकड़ कर बैठ ही जाता। अब वह ठीक है और हम एक-दूसरे को ' स्टंटमैन ' कह कर पुकारते हैं।

यह तो बताना भूल ही गया कि मेरे उस डॉक्टर ने वार्ड में व्हाट्स एप्प से प्राप्त यह मेसज भी लगा रखा है :

अगर दिल खोला होता , यारों के साथ

हमें न खोलना पड़ता , औज़ारों के साथ।

तो अपनी व्यथा , अपनी पीड़ा अपने किसी मित्र को अवश्य सुनाएं , दर्द कम हो जाएगा। बल्कि रोज सुनाएं किसी न किसी को। तीसरे दिन आपको खुद पर ही गुस्सा आने लगेगा कि यार यह क्या बकवास कर रहा हूँ मैं ! यह भी हो सकता है कि आप किसी मित्र को अपना दुःख दर्द बताएं और अगला भी शुरू हो जाए और आप पाएं कि उसके मुकाबले आपकी तकलीफ तो कुछ भी नहीं।

किसी मित्र से भी न कह पाएं तो एक कागज़ पर दिन में कई बार पूरी तकलीफ लिखें और उसे फाड़ कर फेंक दें। आप चार बार ही लिखेंगे , पांचवी बार में ठीक हो जाएंगे।

इतना भी न कर सकें तो किसी अनाथालय या किसी हॉस्पिटल के ट्रामा सेंटर का एक चक्र लगा आएं। आप अपनी तकलीफ न भूल जाएं तो कहना।

रामदेव योग करवाते हुए कहते हैं -- करने से होता है। मैं आपको दुःख-दर्द कम करने का बता देता हूं - बताने से ही होता है।